'आज अपने सपने, औकात से बड़े रखो, कल तुम्हारी औकात, सपनो से बड़ी होगी.! '
छेड़े इस शेर को, है किसी की इतनी औकात, गर्दिश में घेर लेते हैं गीदड़ भी शेर को।